लेखनी कविता - मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में -कबीर

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मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥ जो सुख पाऊँ राम भजन में सो सुख नाहिं अमीरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥ भला बुरा सब का सुनलीजै कर ...

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